“पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए आँकड़ों का उपयोग: कैसे कांग्रेस ने जाति जनगणना पर RSS को लेकर फैलाया भ्रम, संगठन को बताया विरोधी”

Joseph L. Crain
Joseph L. Crain

जातीय जनगणना: एक गंभीर बहस का मुद्दा

जातीय पिछड़े वर्गों जनगणना आज देश में एक बड़ी बहस का केंद्र बनी हुई है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बार-बार संसद से लेकर अपनी जनसभाओं में जातीय जनगणना की मांग की है। हालाँकि, जब संसद में राहुल गांधी की खुद की जाति पूछी गई थी, तब समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव भड़क उठे थे। इस मुद्दे पर अब कांग्रेस ने एक वीडियो के माध्यम से ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ (RSS) पर निशाना साधा है, जिसमें संघ को जातीय जनगणना का विरोधी बताया गया है।

कांग्रेस का दावा: RSS जातीय जनगणना के खिलाफ?

कांग्रेस पार्टी ने एक वीडियो जारी करते हुए दावा किया कि RSS जातीय जनगणना का विरोध करता है। वीडियो में बताया गया कि RSS ने कहा है कि जातीय जनगणना से समाज की एकता और अखंडता को खतरा हो सकता है। इस वीडियो में कांग्रेस ने आजतक की एक खबर का स्क्रीनशॉट भी साझा किया, जिसमें RSS का विरोध स्पष्ट दिखाने की कोशिश की गई।

कांग्रेस का दावा है कि RSS और भाजपा, दोनों ही दलितों, पिछड़ों और जनजातीय समाज को उनका अधिकार देने के खिलाफ हैं, और इसी वजह से वे जातीय जनगणना नहीं कराना चाहते। वीडियो में राहुल गांधी का एक बयान भी दिखाया गया, जिसमें वे कहते हैं, “अगर कोई सोचता है कि जाति जनगणना को रोका जा सकता है, तो वो गलत है। यह होकर रहेगा।”

RSS का पक्ष: सच्चाई क्या है?

कांग्रेस के दावों के विपरीत, RSS ने जातीय जनगणना पर अपनी स्थिति साफ की है। संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आम्बेकर ने कहा कि जातीय जनगणना एक बेहद संवेदनशील मुद्दा है, जो हमारी राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए महत्वपूर्ण है। हालाँकि, इसका इस्तेमाल चुनावी राजनीति के लिए नहीं होना चाहिए।

जनकल्याण के लिए आँकड़ों का महत्त्व

RSS का मानना है कि अगर कुछ वर्गों को पीछे छूटने से रोकने के लिए आँकड़ों की जरूरत है, तो सरकार इसे इकट्ठा कर सकती है। सुनील आम्बेकर ने स्पष्ट किया कि जनकल्याणकारी योजनाओं के लिए आँकड़े आवश्यक हो सकते हैं, लेकिन इसका दुरुपयोग राजनीतिक लाभ के लिए नहीं होना चाहिए।

निष्कर्ष: कांग्रेस का दावा गलत

RSS के इस स्पष्टीकरण से साफ हो जाता है कि जातीय जनगणना के खिलाफ होने की बात झूठ है। संघ का मानना है कि अगर यह जनकल्याण के लिए है, तो इसे समर्थन देना चाहिए, लेकिन इसका राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल नहीं होना चाहिए।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

जातीय जनगणना क्या है?

जातीय जनगणना वह प्रक्रिया है, जिसमें देश की आबादी को उनकी जातियों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। इसका उद्देश्य विभिन्न जातियों की जनसंख्या का निर्धारण करना होता है, जिससे सरकार नीतियों और योजनाओं में सुधार कर सके।

कांग्रेस ने RSS पर क्या आरोप लगाए हैं?

कांग्रेस पार्टी ने दावा किया है कि RSS जातीय जनगणना का विरोध करता है और इसके खिलाफ है। कांग्रेस का कहना है कि संघ और भाजपा दलितों, पिछड़ों और जनजातीय समुदायों को उनके अधिकार नहीं देना चाहते।

RSS ने जातीय जनगणना पर क्या प्रतिक्रिया दी?

RSS ने कांग्रेस के दावे को झूठा बताया और कहा कि जातीय जनगणना का राजनीतिक इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। RSS का कहना है कि अगर सरकार को पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए आँकड़ों की जरूरत है, तो उन्हें इकट्ठा करना चाहिए।

क्या RSS जातीय जनगणना के खिलाफ है?

नहीं, RSS जातीय जनगणना के खिलाफ नहीं है। संघ ने स्पष्ट किया है कि अगर जातीय जनगणना का उद्देश्य जनकल्याण है, तो इसका समर्थन किया जाना चाहिए। हालाँकि, RSS का मानना है कि इसका राजनीतिक लाभ उठाने के लिए दुरुपयोग नहीं होना चाहिए।

कांग्रेस का वीडियो क्या दिखाता है?

कांग्रेस द्वारा जारी किए गए वीडियो में RSS को जातीय जनगणना का विरोधी बताया गया है। इसमें राहुल गांधी का एक बयान भी दिखाया गया है, जिसमें उन्होंने जातीय जनगणना को रोकने के प्रयासों की आलोचना की है।

क्या जातीय जनगणना से समाज पर कोई असर पड़ सकता है?

RSS का मानना है कि जातीय जनगणना एक संवेदनशील मुद्दा है, जो समाज की एकता और अखंडता को प्रभावित कर सकता है। इसलिए इसे सावधानीपूर्वक और बिना किसी राजनीतिक लाभ के इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

निष्कर्ष

जातीय जनगणना पर कांग्रेस और RSS के बीच छिड़ी बहस ने इस मुद्दे को केंद्र में ला दिया है। जहाँ कांग्रेस RSS पर जातीय जनगणना का विरोध करने का आरोप लगा रही है, वहीं RSS ने स्पष्ट किया है कि वह जनकल्याणकारी उद्देश्यों के लिए आँकड़ों के उपयोग का समर्थन करता है, लेकिन इसका

राजनीतिक दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। जातीय जनगणना जैसे संवेदनशील मुद्दे पर संतुलित और सूचित दृष्टिकोण की आवश्यकता है, ताकि समाज की एकता और अखंडता बनी रहे और पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए उचित कदम उठाए जा सकें।

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *