कांग्रेस नेता राहुल गांधी की अमेरिकी यात्रा के दौरान कई प्रमुख हस्तियों से मुलाकातें हुईं, जिनमें इल्हान उमर (Ilhan Omar)अमेरिका भी शामिल हैं। इल्हान उमर, जो अमेरिकी संसद के निचले सदन की सदस्य हैं, अक्सर अपने इस्लाम समर्थक विचारों और भारत-हिंदू विरोधी टिप्पणियों के कारण चर्चा में रहती हैं।
वॉशिंगटन डीसी में रेबर्न हाउस में आयोजित इस बैठक की मेजबानी अमेरिकी सांसद ब्रेडली जेम्स शेरमन ने की, जिसमें उमर के साथ सांसद जोनाथन जैकसन, रो खन्ना, राजा कृष्णमूर्ति, बारबरा ली, श्री थानेदार, जीसस जी ग्रासिया, हैंक जॉनसन और जैन शाकोवस्की भी शामिल थे।
इसके अलावा, सूत्रों के अनुसार, राहुल गांधी ने अमेरिकी राजनयिक डोनाल्ड लू से भी मुलाकात की, जो अक्सर अन्य देशों की राजनीतिक स्थितियों को प्रभावित करने के लिए जाने जाते हैं। अमेरिकी विदेश विभाग के अनुसार, डोनाल्ड लू 10-16 सितंबर के बीच भारत और बांग्लादेश की यात्रा पर हैं।
राहुल गांधी की यह अमेरिकी यात्रा बतौर विपक्ष नेता उनकी पहली यात्रा है, जिसमें उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय मंचों से अपने विचार साझा किए हैं। हालाँकि, उनकी इस यात्रा के दौरान दिए गए
कुछ बयान, जैसे कि भारत में सिखों की स्थिति पर की गई टिप्पणी, विवादों में आ गए हैं। खालिस्तानी आतंकियों की बातों से मिलते सुर और इल्हान उमर तथा डोनाल्ड लू जैसे व्यक्तियों से उनकी मुलाकातों ने भारतीय राजनीति में नई बहस को जन्म दिया है।
भाजपा के प्रवक्ता प्रदीप भंडारी का कहना है कि राहुल गांधी की इल्हान उमर से मुलाकात यह दर्शाती है कि कांग्रेस नेता भारत विरोधी विचारधारा रखने वाले लोगों के साथ खड़े हैं, जो भारतीय हितों के लिए ठीक नहीं है।
कौन हैं इल्हान उमर
जैसे भारत में संसद के उच्च सदन को राज्यसभा और निचले सदन को लोकसभा कहा जाता है, वैसे ही अमेरिका में उच्च सदन को सीनेट और निचले सदन को हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स या प्रतिनिधि सभा कहा जाता है। इल्हान उमर अमेरिकी संसद के निचले सदन की सदस्य हैं और डेमोक्रेटिक पार्टी से जुड़ी हुई हैं।
अफ्रीकी मूल की इस अमेरिकी महिला सांसद के बयानों में भारत के प्रति स्पष्ट नकारात्मकता और पाकिस्तान के प्रति झुकाव दिखता है। उन्होंने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) का दौरा किया था, जहाँ उनका स्वागत जोर-शोर से किया गया था। यह दौरा आतंकवाद को संरक्षण देने वाले पड़ोसी देश द्वारा किया गया एक प्रतीकात्मक समर्थन था।
हालाँकि, इस यात्रा का भारत ने कड़ा विरोध किया और इसे उसकी क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का उल्लंघन बताया। अमेरिका ने भी इस यात्रा से दूरी बनाते हुए इसे इल्हान उमर की व्यक्तिगत गतिविधि करार दिया, जो बाइडन प्रशासन ने औपचारिक रूप से खुद को इस दौरे से अलग कर लिया था।
पाकिस्तान परस्त इल्हान उमर
इल्हान उमर का जन्म सोमालिया में हुआ था, और उनके विचार अक्सर कट्टरपंथी इस्लामी दृष्टिकोण के रूप में देखे जाते हैं। हाल ही में उन्होंने पाकिस्तान का दौरा किया, जहाँ उनकी मुलाकात पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान से हुई। इस मुलाकात में उमर ने इमरान खान की जमकर तारीफ की, वहीं इमरान ने भी उमर की “इस्लामोफोबिया के खिलाफ साहसी और सैद्धांतिक रुख” की प्रशंसा की।
इस दौरे के दौरान उमर ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति सुल्तान महमूद चौधरी और प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ से भी मुलाकात की। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में कथित मानवाधिकार उल्लंघनों पर चर्चा की, जिससे भारत की कड़ी प्रतिक्रिया आई। भारतीय विदेश मंत्रालय के
सोमालिया में जन्मी मानवाधिकार कार्यकर्ता अयान हिरसी अली ने 12 जुलाई 2019 को वॉल स्ट्रीट जर्नल में “Can Ilhan Omar Overcome Her Prejudice?” शीर्षक से एक लेख लिखा था। इस लेख में उन्होंने कहा था, “जब किसी के मन में किसी के प्रति नफरत घर कर जाए, तो उससे उबरना मुश्किल होता है। इल्हान उमर के साथ भी यही स्थिति है।” अयान के अनुसार, इल्हान उमर उन मुस्लिमों में से हैं, जो दुनिया में हो रही गलतियों के लिए यहूदियों को जिम्मेदार मानती हैं। उनके विचारों में गैर-मुसलमानों के प्रति गहरी नफरत बचपन से ही भरी गई है।
पाकिस्तानी मूल के प्रसिद्ध लेखक और पत्रकार तारेक फतेह भी इल्हान उमर को भारत विरोधी और कट्टर इस्लामवादी मानते हैं। उनके अनुसार, उमर की विचारधारा में स्वतंत्रता और समानता की बात तो होती है, लेकिन उनका झुकाव कट्टर इस्लाम की ओर स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। उमर बुर्का और हिजाब की कट्टर समर्थक रही हैं, और उन्होंने अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में इस्लामोफोबिया से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर एक विशेष प्रतिनिधि का पद सृजित करने का प्रस्ताव भी रखा, जिसे मंजूरी मिल गई थी।
हालाँकि, उमर के इस कदम की आलोचना भी हुई। रिपब्लिकन पार्टी की नेता डालिया अल-अकिदी, जो खुद मुस्लिम हैं और अमेरिकी कांग्रेस का चुनाव लड़ चुकी हैं, ने इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया। डालिया ने अरब न्यूज में लिखे अपने लेख में सवाल उठाया कि क्या इस्लाम के नाम पर आतंकवादी हमलों को अंजाम देने वाले लोगों को ‘मुस्लिम आतंकी’ कहना भी इस्लामोफोबिया के अंतर्गत आएगा?
प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इल्हान उमर को “एजेंडावादी” करार देते हुए तीखी आलोचना की। बागची ने उमर को संकीर्ण सोच वाली नेता बताया और स्पष्ट किया कि भारत अपनी क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के किसी भी उल्लंघन को सहन नहीं करेगा।
मुस्लिम देशों में सेलिब्रिटी हैं इल्हान उमर
इल्हान उमर को मुस्लिम देशों में एक सेलिब्रिटी का दर्जा प्राप्त है, और उनकी पहचान कट्टरपंथी इस्लामी एजेंडे को बढ़ावा देने से जुड़ी रही है। उनके विचारों में इस्लामी मुद्दों की इतनी प्रधानता है कि वह कभी-कभी अमेरिकी राष्ट्रीय हितों की अनदेखी करती नजर आती हैं। दुनियाभर में कट्टरपंथी इस्लाम का प्रसार करना ही उनका प्रमुख उद्देश्य माना जाता है। मुस्लिम देशों के प्रति उनका समर्थन और भारत के प्रति उनकी आलोचनात्मक टिप्पणियाँ जगजाहिर हैं।
कश्मीर, भारतीय मुसलमानों, बीजेपी, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर उमर कई विवादित बयान दे चुकी हैं। मोदी सरकार के प्रति उनकी नाराजगी विशेष रूप से सोशल मीडिया पर देखी जा सकती है। इस महीने की शुरुआत में, उन्होंने अमेरिकी संसद में सवाल किया था कि आखिर मोदी सरकार मुसलमानों के खिलाफ और कितने अत्याचार करेगी जिसके बाद बाइडन प्रशासन कोई कदम उठाएगा?
इल्हान उमर को पहली अफ्रीकी शरणार्थी के रूप में भी जाना जाता है, जो चुनाव जीतकर अमेरिकी संसद तक पहुँचीं। 2019 में मिनेसोटा से सांसद चुनी गईं उमर, इस सीट से जीतने वाली पहली अश्वेत महिला भी हैं। इसके साथ ही, वह अमेरिकी संसद में पहुँचने वाली पहली दो मुस्लिम-अमेरिकी महिलाओं में से एक हैं।
उनका परिवार सोमालिया में गृहयुद्ध के चलते देश छोड़ने पर मजबूर हुआ था, तब उमर केवल आठ साल की थीं। परिवार ने केन्या के शरणार्थी शिविर में चार साल बिताए, और 1990 के दशक में अमेरिका आ गया। उमर के दादा ने उन्हें राजनीति में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया। 2016 में मिनेसोटा की प्रतिनिधि सभा के लिए चुनाव जीतने के बाद, 2019 में वह अमेरिकी संसद के लिए चुनी गईं।
गैर मुस्लिमों से नफरत
सोमालिया में जन्मी मानवाधिकार कार्यकर्ता अयान हिरसी अली ने 12 जुलाई 2019 को वॉल स्ट्रीट जर्नल में “Can Ilhan Omar Overcome Her Prejudice?” शीर्षक से एक लेख लिखा था। इस लेख में उन्होंने कहा था, “जब किसी के मन में किसी के प्रति नफरत घर कर जाए,
तो उससे उबरना मुश्किल होता है। इल्हान उमर के साथ भी यही स्थिति है।” अयान के अनुसार, इल्हान उमर उन मुस्लिमों में से हैं, जो दुनिया में हो रही गलतियों के लिए यहूदियों को जिम्मेदार मानती हैं। उनके विचारों में गैर-मुसलमानों के प्रति गहरी नफरत बचपन से ही भरी गई है।
पाकिस्तानी मूल के प्रसिद्ध लेखक और पत्रकार तारेक फतेह भी इल्हान उमर को भारत विरोधी और कट्टर इस्लामवादी मानते हैं। उनके अनुसार, उमर की विचारधारा में स्वतंत्रता और समानता की बात तो होती है, लेकिन उनका झुकाव कट्टर इस्लाम की ओर
स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। उमर बुर्का और हिजाब की कट्टर समर्थक रही हैं, और उन्होंने अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में इस्लामोफोबिया से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर एक विशेष प्रतिनिधि का पद सृजित करने का प्रस्ताव भी रखा, जिसे मंजूरी मिल गई थी।
हालाँकि, उमर के इस कदम की आलोचना भी हुई। रिपब्लिकन पार्टी की नेता डालिया अल-अकिदी, जो खुद मुस्लिम हैं और अमेरिकी कांग्रेस का चुनाव लड़ चुकी हैं, ने इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया। डालिया ने अरब न्यूज में लिखे अपने लेख में सवाल उठाया कि क्या इस्लाम के नाम पर आतंकवादी हमलों को अंजाम देने वाले लोगों को ‘मुस्लिम आतंकी’ कहना भी इस्लामोफोबिया के अंतर्गत आएगा?
सगे भाई ही इल्हान उमर के शौहर
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी एक चुनावी रैली के दौरान इल्हान उमर पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था, “इल्हान उमर को अमेरिका, यहाँ के शासन और यहाँ के लोगों से नफरत है। वह हमारे देश से घृणा करती हैं और ऐसी जगह से आई हैं जहाँ सरकार का कोई अस्तित्व ही नहीं है। अब यहाँ आकर हमें सिखा रही हैं कि देश कैसे चलाना चाहिए।”
ट्रंप ने इल्हान उमर पर कई बार आरोप लगाया था कि उनका दूसरा पति, अहमद इल्मी, कोई और नहीं बल्कि उनका सगा भाई है। ट्रंप ने 2020 के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान इस मुद्दे पर जोर देते हुए जस्टिस डिपार्टमेंट से इसकी जाँच कराने की माँग की थी। इस मामले को लेकर और भी विवाद तब बढ़ा जब ट्रंप की पार्टी के एक रणनीतिकार ने अगस्त 2020 में एक डीएनए टेस्ट रिपोर्ट वेबसाइट पर प्रकाशित की।
इस रिपोर्ट के अनुसार, डीएनए के कई परीक्षणों में इल्हान उमर और अहमद इल्मी के सगे भाई-बहन होने का सौ प्रतिशत मिलान पाया गया था। इसके अलावा, डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार, सोमाली समुदाय के एक नेता ने भी यह खुलासा किया था कि इल्हान उमर ने अपने भाई से निकाह किया है, जिससे यह मामला और अधिक चर्चा में आ गया।
Frequently Asked Questions (FAQs)
राहुल गांधी ने अमेरिका की किस महिला सांसद से मुलाकात की?
राहुल गांधी ने अमेरिका की महिला सांसद इल्हान उमर से मुलाकात की। इल्हान उमर अमेरिका की प्रतिनिधि सभा की सदस्य हैं और डेमोक्रेटिक पार्टी से जुड़ी हैं।
इल्हान उमर को भारत और हिंदुओं के प्रति किस प्रकार के रुख के लिए जाना जाता है?
इल्हान उमर को भारत और हिंदुओं के प्रति नकारात्मक रुख और घृणा के लिए जाना जाता है। उनके कई बयान भारत और भारतीय मुसलमानों के खिलाफ विवादित रहे हैं।
राहुल गांधी और इल्हान उमर की मुलाकात के क्या उद्देश्य थे?
राहुल गांधी और इल्हान उमर की मुलाकात के उद्देश्य के बारे में आधिकारिक रूप से कोई विवरण नहीं है, लेकिन यह माना जा रहा है कि दोनों के बीच विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा हुई होगी।
राहुल गांधी की डोनाल्ड लू से मुलाकात का क्या महत्व है?
राहुल गांधी की अमेरिकी राजनयिक डोनाल्ड लू से मुलाकात का महत्व यह है कि डोनाल्ड लू को दूसरे देशों की सरकारें गिराने के तिकड़मों के लिए जाना जाता है। इस मुलाकात के संभावित प्रभावों को लेकर कुछ चिंताएँ व्यक्त की गई हैं।
डोनाल्ड लू का भारत के संदर्भ में क्या रिकॉर्ड है?
डोनाल्ड लू को भारत और बांग्लादेश की यात्रा के लिए जाना जाता है, और उनके बारे में यह भी कहा जाता है कि वह तिकड़मों के माध्यम से सरकारों को प्रभावित करने में माहिर हैं।
राहुल गांधी की अमेरिकी यात्रा पर विवाद क्यों है?
राहुल गांधी की अमेरिकी यात्रा पर विवाद इसलिए है क्योंकि उन्होंने भारतीय सरकार और भारतीय राजनीतिक स्थिति पर कई बार आलोचनात्मक टिप्पणियाँ की हैं। इसके साथ ही, उन्होंने खालिस्तानी आतंकवादियों के मुद्दे को भी विदेशों में उठाया है, जिससे उनकी आलोचना की गई है।
इल्हान उमर की भारत विरोधी टिप्पणियों पर भारत की प्रतिक्रिया क्या रही है?
भारत ने इल्हान उमर की भारत विरोधी टिप्पणियों की कड़ी निंदा की है और उन्हें संकीर्ण सोच वाली नेता करार दिया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने उनके बयानों को निंदनीय बताते हुए प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
Conclusion
राहुल गांधी की अमेरिकी दौरे पर इल्हान उमर और डोनाल्ड लू से मुलाकात ने भारत में कई सवाल उठाए हैं। इल्हान उमर के भारत और हिंदुओं के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण और डोनाल्ड लू की राजनीतिक रणनीतियों को लेकर चिंताओं ने इस मुलाकात को विवादास्पद बना दिया है। राहुल गांधी की विदेश यात्राएं और उनके बयानों की भारतीय सरकार और जनता द्वारा तीव्र आलोचना की गई है। इन मुलाकातों के माध्यम से उठे मुद्दों ने भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति पर महत्वपूर्ण सवाल खड़े कर दिए हैं।