अमेरिका दौरे पर राहुल गांधी का बयान और उसके निहितार्थ
कांग्रेस नेता राहुल गांधी इन दिनों अमेरिका दौरे पर हैं। इस दौरान उन्होंने भारत में सिख समुदाय के साथ हो रही कथित अन्यायपूर्ण स्थिति पर बयान दिया। राहुल ने कहा कि, “भारत में आज सिखों को पगड़ी पहनने या कड़ा धारण करने की इजाजत नहीं मिल रही है। यह सिर्फ सिखों के लिए नहीं, बल्कि सभी धर्मों के लोगों के लिए लड़ाई है।”
हालांकि, यह बयान ऐसे समय पर आया है जब उनके परिवार की ऐतिहासिक भूमिका और कांग्रेस की भूमिका पर कई सवाल उठते रहे हैं, खासतौर पर 1984 के सिख विरोधी नरसंहार के संदर्भ में।
1984 का सिख नरसंहार और कांग्रेस की भूमिका
राहुल गांधी उसी राजीव गांधी के बेटे हैं, जो उस समय भारत के प्रधानमंत्री थे, जब 1984 में सिखों का नरसंहार हुआ था। यह नरसंहार इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुआ, और इसे पगड़ी और कड़ा से पहचानकर अंजाम दिया गया। इस घटना में हजारों सिखों की हत्या की गई और कई गुरुद्वारों पर भी हमले हुए।
राजीव गांधी ने इस नरसंहार के बचाव में कहा था, “जब भी कोई बड़ा पेड़ गिरता है, तो धरती थोड़ी हिलती है।” यह बयान इस घटना को छोटा करके दिखाने के प्रयास के रूप में देखा गया।
कांग्रेस नेताओं पर आरोप
राहुल गांधी उसी कांग्रेस के नेता हैं, जिस पर इस नरसंहार में शामिल होने के आरोप लगे हैं। कुछ समय पहले दिल्ली की एक अदालत ने कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद जगदीश टाइटलर पर इस नरसंहार को लेकर मुकदमा चलाने की अनुमति दी है। अदालत ने कहा है कि उनके खिलाफ हत्या, दंगा भड़काने जैसे कई गंभीर आरोपों में पर्याप्त सबूत मौजूद हैं।
CBI द्वारा दाखिल की गई चार्जशीट में कई गवाहों ने बयान दिया कि टाइटलर ने भीड़ को सिखों के खिलाफ हिंसा के लिए उकसाया था। एक गवाह के अनुसार, उन्होंने भीड़ से कहा, “सिखों को मारो, उन्होंने हमारी मां को मार डाला।”
राहुल गांधी का प्रोपेगेंडा
राहुल गांधी का यह हालिया बयान उस खालिस्तानी प्रोपेगेंडा का हिस्सा लगता है, जिसे लंबे समय से खालिस्तानी आतंकी बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं। यह बयान सिखों और हिंदुओं के बीच दरार डालने की एक साजिश के रूप में देखा जा सकता है।
1984 के दौरान जब सिखों पर हमले हो रहे थे, तब सैकड़ों सिखों की जान उनके हिंदू पड़ोसियों ने बचाई थी। इसके बावजूद, राहुल गांधी अब देश को जाति और धर्म के नाम पर बांटने का प्रयास कर रहे हैं, और इस बार उन्होंने इसके लिए विदेशी धरती का सहारा लिया है।
बीजेपी की प्रतिक्रिया
बीजेपी नेता आरपी सिंह ने राहुल गांधी के इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने राहुल को चुनौती देते हुए कहा, “राहुल गांधी यह नहीं बताते कि यह सब कांग्रेस के सत्ता में रहते हुए हुआ। मैं उन्हें कोर्ट में घसीटने की चुनौती देता हूँ।”
सिंह ने आगे कहा, “1984 में सिखों के पगड़ी उतारी गई, उनके केश काटे गए, और उन्हें पेट्रोल से जलाया गया। यह सब कांग्रेस के शासनकाल में हुआ था।”
निष्कर्ष
राहुल गांधी का यह बयान और उनका प्रोपेगेंडा सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए नहीं, बल्कि देश को विभाजित करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। 1984 का नरसंहार और उसके बाद कांग्रेस की भूमिका इतिहास के पन्नों में दर्ज है, और उसे नजरअंदाज करना देश के सामूहिक स्मृति का अपमान होगा।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1984 के सिख विरोधी नरसंहार क्या था?
1984 का सिख विरोधी नरसंहार इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुआ था। इस दौरान कांग्रेस नेताओं के नेतृत्व में सिखों के खिलाफ बड़े पैमाने पर हिंसा हुई, जिसमें हजारों सिखों की हत्या की गई, उनकी संपत्तियों को लूटा गया, और गुरुद्वारों पर हमले हुए।
राहुल गांधी का इस नरसंहार से क्या संबंध है?
राहुल गांधी उस समय के प्रधानमंत्री राजीव गांधी के पुत्र हैं। राजीव गांधी के नेतृत्व में यह घटना हुई, और उन्होंने इस नरसंहार का बचाव “जब बड़ा पेड़ गिरता है, तो धरती हिलती है” जैसे बयान देकर किया था। कांग्रेस पार्टी पर इस नरसंहार में शामिल होने के गंभीर आरोप हैं।
राजीव गांधी ने सिख नरसंहार के बारे में क्या कहा था?
राजीव गांधी ने सिख नरसंहार के बारे में कहा था, “जब बड़ा पेड़ गिरता है, तो धरती हिलती है।” उनके इस बयान की व्यापक आलोचना हुई थी, क्योंकि इसे सिखों के नरसंहार को छोटा करके दिखाने की कोशिश माना गया।
कांग्रेस नेताओं पर इस नरसंहार में क्या आरोप लगे थे?
कई कांग्रेस नेताओं पर सिखों के खिलाफ भीड़ को उकसाने और हिंसा की अगुवाई करने के आरोप लगे। प्रमुख नेता जगदीश टाइटलर, सज्जन कुमार, और कमलनाथ पर इस नरसंहार में संलिप्तता के गंभीर आरोप हैं।
जगदीश टाइटलर का इस मामले में क्या रोल था?
जगदीश टाइटलर पर आरोप है कि उन्होंने दिल्ली में सिखों के खिलाफ भीड़ को उकसाया और दंगों का नेतृत्व किया। कई गवाहों के अनुसार, उन्होंने भीड़ से सिखों को मारने और उनकी संपत्ति लूटने के लिए कहा। कोर्ट ने उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दी है।
राहुल गांधी ने हाल ही में सिखों से संबंधित क्या बयान दिया था?
राहुल गांधी ने हाल ही में अमेरिका दौरे पर कहा कि भारत में सिखों को पगड़ी और कड़ा पहनने की अनुमति नहीं दी जा रही है। उन्होंने इसे सिखों और अन्य धर्मों के लिए एक लड़ाई बताया।
निष्कर्ष
1984 का सिख विरोधी नरसंहार भारतीय इतिहास का एक काला अध्याय है, जिसमें हजारों निर्दोष सिखों की हत्या की गई और उनकी संपत्तियों को लूटा गया। इस त्रासदी के साथ कांग्रेस पार्टी की गहरी संलिप्तता और तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के विवादास्पद बयानों ने इस घटना को और भी संवेदनशील बना दिया। राहुल गांधी द्वारा हाल ही में दिए गए बयान ने इस इतिहास को फिर से चर्चा में ला दिया है, और उनकी पार्टी की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं।
आज भी, सिख समुदाय के पीड़ितों और उनके परिवारों को न्याय की तलाश है। हालांकि कुछ दोषियों पर कानूनी कार्रवाई हुई है, लेकिन यह प्रक्रिया धीमी और अधूरी मानी जाती है। इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि राजनीतिक नेतृत्व की जिम्मेदारी और नैतिकता पर सवाल उठाने का वक्त हमेशा आता है, और इतिहास को कभी भुलाया नहीं जा सकता।