वक्फ बोर्ड पर शिकंजा कसने के लिए केंद्र सरकार का कदम
केंद्र की मोदी सरकार ने वक्फ बोर्ड द्वारा सरकारी जमीनों और हिंदुओं के गाँवों को मुस्लिम संपत्ति घोषित करने के मुद्दे पर एक बिल लाने का निर्णय लिया था। यह बिल संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजा गया है, जहां इस पर विचार-विमर्श जारी है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने JPC के समक्ष 120 से अधिक स्मारकों का दावा किया है, जो उसके अधीन हैं, लेकिन वक्फ बोर्ड भी उन पर दावा कर रहा है।
ASI का खुलासा: वक्फ बोर्ड और ऐतिहासिक स्मारकों का विवाद
वक्फ (संशोधन) विधेयक की जाँच कर रही संयुक्त संसदीय समिति के सामने ASI ने शुक्रवार (6 सितंबर 2024) को यह जानकारी दी कि देश के कई ऐतिहासिक स्मारक, जो ASI के संरक्षण में हैं, उन पर वक्फ बोर्ड ने अपना दावा किया है। इनमें कुछ स्मारक ASI द्वारा संरक्षित घोषित किए जाने के एक सदी बाद वक्फ संपत्ति के रूप में चिन्हित कर दिए गए। उदाहरण के तौर पर, महाराष्ट्र के अहमदनगर स्थित अहमद शाह की कब्र, जिसे 1909 में संरक्षित स्मारक घोषित किया गया था, 2006 में वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज कर दी गई।
वक्फ बोर्ड के असीमित अधिकारों पर रोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार ने वक्फ बोर्ड के अधिकारों पर लगाम कसने के उद्देश्य से वक्फ (संशोधन) विधेयक पेश किया है। ASI के अनुसार, देश भर में 132 संपत्तियों को लेकर वक्फ बोर्ड के साथ विवाद चल रहा है। इनमें कई ऐतिहासिक धरोहरें शामिल हैं, जिन्हें ASI ने संरक्षित किया है, लेकिन वक्फ बोर्ड ने उन पर अधिकार जताया है।
मुस्लिम संगठनों का विरोध और समिति की बैठक
वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विचार करने के लिए बनाई गई संयुक्त संसदीय समिति की बैठक में ASI और मुस्लिम संगठनों के बीच तीखी बहस हुई। मुस्लिम संगठनों ने इस विधेयक को मुस्लिम समुदाय के खिलाफ बताया, जबकि ASI ने वक्फ बोर्ड द्वारा ऐतिहासिक स्मारकों पर अतिक्रमण करने और अवैध निर्माणों का आरोप लगाया। इसके जवाब में विपक्षी सदस्यों ने ASI की आलोचना की और संस्कृति मंत्रालय पर समिति को गुमराह करने का आरोप लगाया।
विपक्षी सदस्यों और ASI के बीच तकरार
बैठक के दौरान भाजपा सांसदों और विपक्षी सदस्यों के बीच तीखी नोक-झोंक हुई। भाजपा सांसद ने वक्फ बोर्ड को गैर-इस्लामिक संस्था करार दिया, जिसका AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी ने कड़ा विरोध किया। समिति की बैठक में भाजपा सांसद जगदंबिका पाल, निशिकांत दुबे, बृजलाल, तेजस्वी सूर्या और संजय जायसवाल ने हिस्सा लिया, जबकि विपक्ष की ओर से कॉन्ग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, AIMIM, और आम आदमी पार्टी के नेता शामिल हुए।
ASI की प्रस्तुति: अभी और रिपोर्ट का इंतजार
संस्कृति मंत्रालय के अधीन काम करने वाले ASI ने समिति को 53 स्मारकों की प्रस्तुति दी, लेकिन यह भी कहा कि देश भर से और रिपोर्ट आनी बाकी है। इसलिए उसे आगे और समय दिया जाना चाहिए।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
वक्फ बोर्ड का दावा किन स्मारकों पर है?
वक्फ बोर्ड ने देश के 120 से अधिक ऐतिहासिक स्मारकों और धरोहरों पर दावा किया है, जो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के संरक्षण में हैं। इनमें कई ऐसे स्मारक शामिल हैं जिन्हें ASI ने एक सदी पहले संरक्षित घोषित किया था।
ASI का क्या कहना है इस मुद्दे पर?
ASI ने संसदीय समिति (JPC) के सामने बताया कि ये स्मारक उसके संरक्षण में हैं, लेकिन वक्फ बोर्ड इन पर अपना अधिकार जताता है। ASI के अनुसार, कई स्मारकों को बिना किसी कानूनी आधार के वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज किया गया है।
वक्फ बोर्ड के दावे के पीछे क्या कारण हैं?
वक्फ बोर्ड का दावा है कि कुछ संपत्तियाँ और स्मारक धार्मिक संपत्तियों के रूप में मुस्लिम समुदाय की हैं। इन संपत्तियों पर इबादतगाह, कब्र, या अन्य धार्मिक संरचनाएँ होने की वजह से वे इन संपत्तियों को वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज कराना चाहते हैं।
वक्फ (संशोधन) विधेयक क्या है और इसका उद्देश्य क्या है?
वक्फ (संशोधन) विधेयक को केंद्र की मोदी सरकार ने वक्फ बोर्ड के असीमित अधिकारों पर नियंत्रण लाने और सरकारी व सार्वजनिक संपत्तियों पर अनावश्यक दावों को रोकने के लिए पेश किया है। इसका मुख्य उद्देश्य वक्फ बोर्ड की शक्ति को संतुलित करना और संपत्तियों के दावों की जांच करना है।
ASI और वक्फ बोर्ड के बीच विवाद क्यों है?
विवाद इस बात पर है कि ASI के संरक्षण में आने वाले कई स्मारक, जिन्हें राष्ट्रीय धरोहर माना जाता है, उन पर वक्फ बोर्ड ने दावा किया है। ASI के अनुसार, वक्फ बोर्ड ने इन संपत्तियों को अवैध रूप से वक्फ संपत्ति घोषित किया है और कई जगहों पर अतिक्रमण भी किया है।
यह मामला संसद की संयुक्त समिति (JPC) तक कैसे पहुँचा?
वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विचार के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति (JPC) का गठन किया गया है। इस समिति के समक्ष ASI ने अपने मुद्दों को रखते हुए बताया कि वक्फ बोर्ड ने उसके कई स्मारकों पर अधिकार जताया है। इस समिति का उद्देश्य विधेयक के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करना है।
निष्कर्ष
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) और वक्फ बोर्ड के बीच ऐतिहासिक स्मारकों और धरोहरों पर अधिकार को लेकर चल रहे विवाद ने वक्फ (संशोधन) विधेयक को एक महत्वपूर्ण मुद्दा बना दिया है। ASI के दावे के अनुसार, कई स्मारकों को वक्फ संपत्ति के रूप में अवैध रूप से घोषित किया गया है, जो कि उसके संरक्षण में आने वाले राष्ट्रीय धरोहर हैं। मोदी सरकार द्वारा प्रस्तुत वक्फ (संशोधन) विधेयक का उद्देश्य इन असीमित दावों पर नियंत्रण लाना और सरकारी संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
हालांकि, इस विधेयक का विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों द्वारा विरोध किया जा रहा है, जो इसे मुस्लिम समुदाय के खिलाफ मानते हैं। संसदीय समिति (JPC) द्वारा इस पर गहन विचार-विमर्श जारी है, और आगे की कार्रवाई समिति की सिफारिशों पर निर्भर करेगी। अंततः, इस मुद्दे का समाधान सरकार, ASI, वक्फ बोर्ड और सभी संबंधित पक्षों के बीच बातचीत और समझौते से ही संभव हो सकेगा।