सीताराम येचुरी का आरोप: नेपाल से ‘हिंदू’ शब्द हटाने की साजिश, कांग्रेस सरकार का सहयोग

Joseph L. Crain
Joseph L. Crain

सीताराम येचुरी: एक प्रगतिशील नेता का योगदान

कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) के महासचिव, सीताराम येचुरी का निधन हो गया। 72 वर्ष की आयु में निमोनिया से पीड़ित येचुरी का दिल्ली के AIIMS में 25 दिनों तक इलाज चला। 1974 में उन्होंने स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) के साथ जुड़कर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी।

Table of Contents
सीताराम येचुरी: एक प्रगतिशील नेता का योगदानसीताराम येचुरी का स्वास्थ्य और राजनीतिक जीवननेपाल में लोकतंत्र की स्थापना में योगदानमाओवादी नेताओं से रिश्तेनेपाल की राजशाही का अंत और ‘येचुरी फॉर्मूला’नेपाल के नए संविधान का समर्थननिष्कर्ष: एक महत्वपूर्ण योगदानअक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)सीताराम येचुरी ने नेपाल से ‘हिंदू’ शब्द हटाने का आरोप कब लगाया?क्या कांग्रेस सरकार ने नेपाल से ‘हिंदू’ शब्द हटाने में समर्थन किया था?नेपाल से ‘हिंदू’ शब्द हटाने का कारण क्या था?क्या सीताराम येचुरी और कांग्रेस पार्टी इस बदलाव के पीछे मुख्य भूमिका में थे?नेपाल का हिंदू राष्ट्र से धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनने का भारत पर क्या प्रभाव पड़ा?क्या येचुरी के आरोपों को लेकर विवाद हुआ था?निष्कर्ष

सीताराम येचुरी का स्वास्थ्य और राजनीतिक जीवन

CPI(M) की ओर से जारी बयान के अनुसार, उन्हें गंभीर साँस की नली के संक्रमण से जूझना पड़ा। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी अपने पुराने मित्र को याद करते हुए कहा, “वे भारत के विचार के सच्चे रक्षक थे।” चेन्नई के तेलुगू ब्राह्मण परिवार में जन्मे येचुरी का राजनीतिक करियर कई उथल-पुथल से भरा रहा।

नेपाल में लोकतंत्र की स्थापना में योगदान

नेपाल के लोकतांत्रिक आंदोलन में सीताराम येचुरी का अहम योगदान रहा। वे नेपाल के राजा वीरेंद्र सिंह के खिलाफ थे और वामपंथियों के सहयोगी थे। येचुरी ने नेपाल के विद्रोही वामपंथियों को कई बार समर्थन दिया। नेपाल को हिंदू राष्ट्र से धर्मनिरपेक्ष बनाने में उनका अहम रोल था।

माओवादी नेताओं से रिश्ते

जेएनयू में अपने छात्र जीवन के दौरान, येचुरी की मुलाकात माओवादी नेता बाबूराम भट्टाराई से हुई थी। इसके बाद नेपाल में माओवादी आंदोलन को समर्थन देने और हिंदू राजशाही को खत्म करने में उनकी प्रमुख भूमिका रही।

नेपाल की राजशाही का अंत और ‘येचुरी फॉर्मूला’

साल 2006 में नेपाल की हिंदू राजशाही के खत्म होने के बाद, सीताराम येचुरी ने माओवादी और अन्य राजनीतिक दलों के साथ मिलकर नेपाल को एक धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक देश बनाने में मदद की। नेपाली नेताओं ने उनका भव्य स्वागत किया था, और उनके द्वारा बनाए गए 12 सूत्री समझौते को ‘येचुरी फॉर्मूला’ के नाम से जाना गया।

नेपाल के नए संविधान का समर्थन

2010 में नेपाल के संविधान को लागू करने के अंतिम चरण में भी सीताराम येचुरी ने नेपाल के राजनीतिक दलों से वार्ता की। उन्होंने माओवादियों और अन्य दलों के बीच पुल का काम किया, जिससे नेपाल में स्थिरता आई। उनका मानना था कि आज की क्रांतियों में लोकतंत्र के प्रति लोगों की चाहत भी शामिल होनी चाहिए।

निष्कर्ष: एक महत्वपूर्ण योगदान

सीताराम येचुरी का योगदान न केवल भारतीय राजनीति में बल्कि पड़ोसी देश नेपाल की राजनीति में भी अहम रहा। उन्होंने नेपाल को एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके प्रयासों को आज भी वामपंथी राजनीति में एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में देखा जाता है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

सीताराम येचुरी ने नेपाल से ‘हिंदू’ शब्द हटाने का आरोप कब लगाया?

सीताराम येचुरी ने यह आरोप उस समय लगाया जब नेपाल को हिंदू राष्ट्र से धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनाने की प्रक्रिया चल रही थी। यह मामला मुख्य रूप से 2006 के आसपास का है, जब नेपाल की राजशाही खत्म हुई और देश में एक धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र की स्थापना की गई।

क्या कांग्रेस सरकार ने नेपाल से ‘हिंदू’ शब्द हटाने में समर्थन किया था?

जी हाँ, सीताराम येचुरी का दावा था कि तत्कालीन भारतीय कांग्रेस सरकार ने नेपाल के हिंदू राष्ट्र को धर्मनिरपेक्ष बनाने में सहयोग किया था। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार ने नेपाल के माओवादी और अन्य वामपंथी समूहों का समर्थन किया।

नेपाल से ‘हिंदू’ शब्द हटाने का कारण क्या था?

नेपाल में लंबे समय से राजशाही थी, जिसे हिंदू राष्ट्र माना जाता था। 2006 में माओवादी विद्रोह और लोकतांत्रिक आंदोलन के बाद, नेपाल की सरकार ने देश को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित कर दिया। इसका उद्देश्य सभी धर्मों के प्रति समान दृष्टिकोण अपनाना और राजशाही को समाप्त करना था।

क्या सीताराम येचुरी और कांग्रेस पार्टी इस बदलाव के पीछे मुख्य भूमिका में थे?

सीताराम येचुरी और कांग्रेस पार्टी के कुछ नेता इस बदलाव के समर्थन में थे। येचुरी ने माओवादी नेताओं के साथ बातचीत की और नेपाल में लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष प्रणाली स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने इसे “नेपाली लोगों की जीत” बताया था।

नेपाल का हिंदू राष्ट्र से धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनने का भारत पर क्या प्रभाव पड़ा?

नेपाल का धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनना भारत के लिए एक महत्वपूर्ण घटना थी, क्योंकि नेपाल की स्थिरता और राजनीति का भारत के साथ सीधा संबंध है। भारत और नेपाल के संबंध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से जुड़े हुए हैं, इसलिए इस बदलाव का असर भारत की विदेश नीति और दोनों देशों के आपसी संबंधों पर भी पड़ा।

क्या येचुरी के आरोपों को लेकर विवाद हुआ था?

हाँ, येचुरी के आरोपों को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ, क्योंकि कई लोगों ने इसे भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक हस्तक्षेप के रूप में देखा। कुछ हिंदू संगठनों ने इसे नेपाल के हिंदू पहचान को कमजोर करने का प्रयास माना और इसकी आलोचना की।

निष्कर्ष

सीताराम येचुरी और कांग्रेस सरकार पर लगाए गए आरोप, कि उन्होंने नेपाल से ‘हिंदू’ शब्द हटाने की साजिश रची, ऐतिहासिक और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में विवादित रहे हैं। नेपाल का हिंदू राष्ट्र से धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनना, 2006 में राजशाही के अंत और माओवादी आंदोलन की सफलता का परिणाम था। सीताराम येchuri की भूमिका माओवादी नेताओं के साथ बातचीत और नेपाल में लोकतांत्रिक व्यवस्था की स्थापना में महत्वपूर्ण रही। उनके इस प्रयास को कुछ ने नेपाल की प्रगति के रूप में देखा, तो कुछ ने इसे हिंदू पहचान को कमजोर करने की साजिश कहा।

नेपाल के धर्मनिरपेक्ष बनने का भारत-नेपाल के सांस्कृतिक और राजनीतिक संबंधों पर गहरा प्रभाव पड़ा, जिससे दोनों देशों के बीच एक नया समीकरण स्थापित हुआ। हालांकि, इस घटना ने नेपाल को एक लोकतांत्रिक राष्ट्र बनने में सहायता की, लेकिन यह हिंदू राष्ट्र का दर्जा खो बैठा, जो एक गहन विचार-विमर्श का विषय बना रहा।

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